मंगला गौरी व्रत विशेष महत्व वाला सावन माह में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू धार्मिक व्रत है। इस व्रत के दिन अनुष्ठान के साथ-साथ कुछ उपाय भी बताए जाते हैं जिनके अनुसार मंगल दोष को नष्ट किया जा सकता है। मंगला गौरी व्रत का महत्व यह है कि विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है और कुंवारी कन्याओं के लिए शीघ्र विवाह का योग बनता है।
इस साल मंगला गौरी व्रत के त्योहार में अधिकमास (एक अतिरिक्त मास) भी है, जिसके कारण इसकी अवधि बढ़कर दो महीने हो गई हैं। मंगला गौरी व्रत के त्योहार की तिथियां इस प्रकार हैं:
- पहला मंगला गौरी व्रत: 4 जुलाई (अधिकमास में)
- दूसरा मंगला गौरी व्रत: 11 जुलाई (अधिकमास में)
- तीसरा मंगला गौरी व्रत: 18 जुलाई (अधिकमास में)
- चौथा मंगला गौरी व्रत: 25 जुलाई (अधिकमास में)
- पांचवा मंगला गौरी व्रत: 1 अगस्त (अधिकमास में)
- छठा मंगला गौरी व्रत: 8 अगस्त (अधिकमास में)
- सातवां मंगला गौरी व्रत: 15 अगस्त (अधिकमास में)
- आठवां मंगला गौरी व्रत: 22 अगस्त
- नौवां मंगला गौरी व्रत: 29 अगस्त
मंगला गौरी व्रत के दिन निम्नलिखित उपायों को करने से मंगल दोष का प्रभाव दूर हो सकता है:
- मांगलिक महिलाएं अथवा जिनकी कुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8 और 12वें घर में स्थित हो, वे हनुमान जी की पूजा करें और हनुमान जी के चरणों से सिंदूर लेकर माथे पर टीका लगाएं।
- विवाहित महिलाएं और कन्याएं मिठाई खिलाएं और अतिथियों को भी मिठाई दें।
- मंगला गौरी व्रत के दिन श्री मंगला गौरी मंत्र ‘ऊँ गौरीशंकराय नमः’ का जाप करें।
- मंगला गौरी व्रत के दौरान सावन माह के प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखें और विशेष पूजा करें।
ये उपाय आपको मंगल दोष के प्रभाव को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
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