सुरक्षाबलों ने छत्तीसगढ़ में ऐसे दिया सबसे बड़े एनकाउंटर को अंजाम

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के विरुद्ध अब तक हुई सबसे बड़ी कार्रवाई में कांकेर जिले के हापाटोला जंगल में जवानों ने 29 नक्सलियों को ढेर कर दिया है। मंगलवार को बीएसएफ और डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के 1,000 से अधिक जवानों ने 50 से 60 नक्सलियों को जंगल में घेर कर इस अभियान को अंजाम दिया है।

मारे गए कई नक्सलियों की पहचान अभी तक नहीं हुई है, पर घटनास्थल से मिले हथियार से पता चलता है कि कई बड़े नक्सली मारे गए हैं। मारे गए नक्सलियों में उनका कमांडर और 25 लाख रुपये का इनामी शंकर राव तथा 25 लाख की इनामी ललिता भी शामिल है। एक और नक्सली कमांडर राजू भी मारा गया है।

बीएसएफ को मिली पुख्ता जानकारी, फिर हुई कार्रवाई

इस एनकाउंटर की जानकारी देते हुए डीआईजी इंटेलिजेंस आलोक कुमार सिंह ने बताया की काफी दिनों से नक्सल कमांडर की इलेक्शन को लेकर का कांकेर की सिचवेशन को लेकर सेंट्रल कमेटी और सब जोनल कमेटी की कमांडर की मूवमेंट की खबर मिल रही थी इसके लिए पुलिस और बीएसएफ ऑपरेशन की तैयारी कर रहे थे उसी के तहत आज ऑपरेशन प्लान किया था आज हमारे पास बीएसएफ के पुख्ता जानकारी थी।

हमें खबर मिली कि मने बड़ी तादाद में 185 के करीब एक जगह और 200 के करीब एक जगह नक्सली को ऑपरेट कराया जा रहा था। हमें यह भी जानकारी मिली कि  शंकर राव और दूसरे सीनियर सेंट्रल कमांडर रामवेद की मौजूदगी है।

बीएसएफ कमांडो प्लाटून जो पूर्व दिशा से नक्सलियों से अटैक किया जिसमे बड़ी संख्या में नक्सली घायल हुए नक्सलियों के पास कोई रास्ता नहीं बचा था। दूसरे नाले की तरफ से डीआरजी की टीम ने घेर रखा था जिसमे ये नक्सली मारे गए है।

नक्सलियों को जवाबी कार्रवाई का कोई मौका नहीं देंगे: अरुण साव

यह मुठभेड़ ऐसे समय पर हुई है, पहले चरण (19 अप्रैल) में बस्तर में जब तीन दिन बाद मतदान होना है। बता दें, 14 अप्रैल को राजनांदगांव में चुनावी सभा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्र की सत्ता में तीसरी बार काबिज होने पर नक्सल मुक्त छत्तीसगढ़ का संकल्प लिया था। राज्य के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने भी कहा कि गृह मंत्री के दिशा निर्देश के बाद प्रदेश सरकार ऑपरेशन मोड में

है। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए किसी भी स्तर पर ढील नहीं दी जा सकती। नक्सलियों को जवाबी कार्रवाई का कोई मौका नहीं देंगे। राज्य में नक्सली गतिविधियों पर लगाम के लिए डीआरजी की स्थापना 2008 में की गई थी। वहीं संवेदनशील इलाकों में सरकार ने बीएसएफ की भी तैनाती कर रखी है।