हमास-इस्राइल के बीच युद्धविराम के लिए क्या है प्रस्ताव, अमेरिका ने क्यों नहीं किया वोट?

बीते पांच महीने से ज्यादा समय से हमास और इस्राइल के बीच जंग छिड़ी हुई है। पिछले साल 7 अक्तूबर से जारी खूनी लड़ाई में हजारों लोगों की जान चली गई है। लाखों लोगों को अपने घर-बार छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। हालांकि, इस दौरान एक मौका ऐसा आया है जब थोड़े दिनों के लिए युद्धविराम हुआ। अब सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में हमास और इस्राइल के बीच तत्काल युद्धविराम के लिए एक प्रस्ताव पेश किया गया, जो पारित हो गया।

अमेरिका एकलौता देश था जो युद्धविराम के प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा। अमेरिका के इस रुख को लेकर इस्राइल ने नाराजगी भी जताई है। इस बीच, अमेरिका द्वारा युद्धविराम प्रस्ताव पारित करने की अनुमति देने के बाद इस्राइली प्रतिनिधिमंडल की वाशिंगटन यात्रा रद्द हो गई है। इन तमाम घटनाक्रमों ने दोनों देशों के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ा दिया है। 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को गाजा पट्टी में तत्काल युद्धविराम लागू किए जाने वाला एक नया प्रस्ताव पारित कर दिया है। प्रस्ताव में मानवीय पीड़ा पर विराम लगाने के साथ-साथ तमाम बंधकों की तत्काल व बिना शर्त रिहाई की बात कही गई है। इससे पहले पिछले शुक्रवार को अमेरिका द्वारा प्रस्तावित एक मसौदे को रूस और चीन ने वीटो कर दिया था। 

मोजाम्बिक के राजदूत पेरो अफोंसो ने यूएन सुरक्षा परिषद के 10 निर्वाचित अस्थाई सदस्य देशों की ओर यह प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें मुख्य रूप से तीन मांगें की गई थीं। प्रमुख मांग में गाजा में युद्धविराम, बंधकों की रिहाई और गाजा में मानवीय सहायता का प्रावधान शामिल है। 

इस प्रस्ताव के पक्ष में 14 वोट डाले गए, जबकि अमेरिका ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। प्रस्ताव के मसौदे में ‘स्थाई’ युद्धविराम शब्द का इस्तेमाल किया गया था, जिसे बदल कर ‘तुरंत’ युद्धविराम कर दिया गया। 7 अक्तूबर 2023 को इस्राइल पर हमास के हमलों और उसके बाद गाजा में इस्राइल की जवाबी कार्रवाई के बाद से अब तक सुरक्षा परिषद में इस विषय पर कई प्रस्ताव लाए जा चुके हैं। मगर, सुरक्षा परिषद के कुछ स्थाई सदस्य देशों (चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, अमेरिका) ने अपने वीटो अधिकार के जरिये नकार दिया।