बिहार जातीय सर्वे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण सुनवाई का आयोजन शुक्रवार को किया जा रहा है। इस सुनवाई में, बिहार सरकार द्वारा जारी किए गए जातीय सर्वे के आंकड़ों को लेकर उठे सवालों का निर्णय हो सकता है।
पिछले समय की सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे के आंकड़ों को जारी करने पर कोई रोक नहीं लगाई थी और तय किया कि विस्तृत सुनवाई के बाद ही रोक का निर्णय लिया जाएगा।
हालांकि, इस बीच, बिहार सरकार ने सर्वे के आंकड़ों को जारी कर दिया है, जिससे काफी विवाद उत्पन्न हो गया है। सर्वे के आंकड़ों के आधार पर, बताया गया है कि बिहार में पिछड़े वर्ग की आबादी 27.13 फीसदी है, अति पिछड़े वर्ग की संख्या 36.01 फीसदी है, और ओबीसी की हिस्सेदारी 63 फीसदी है।
इसके साथ ही, इस सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, बिहार में हिंदू धर्म के लोग बहुसंख्यक हैं और हिंदुओं की आबादी 81.99 फीसदी है। दूसरे धर्मों के लोगों की तादाद 17.70 फीसदी है। इसके साथ ही, बिहार में अनुसूचित जाति की संख्या भी 19.65 फीसदी है और उनमें से करीब 22 लाख लोग अनुसूचित जनजाति से संबंधित हैं।
बिहार में इस सर्वे के आंकड़ों का जारी होने के बाद, अन्य राज्यों में भी इसके लिए मांग बढ़ रही है और जातिगत सर्वे कराने की मांग उठ रही है।
इस सुनवाई के माध्यम से, सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बिहार में जातिगत सर्वे के आंकड़ों के साथ होने वाले विवादों को सुलझाने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, और यह देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकता है।
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