चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर, जो 16 दिनों तक स्लीप मोड में थे, अब इसरो की ओर से सक्रिय किए जाएंगे। इसके बाद, इनका विज्ञान मिशन चंद्रमा की सतह की और जांच करने के लिए उपयोग किया जाएगा।
इसरो (एसएसी) के निदेशक नीलेश देसाई ने बताया कि चंद्रमा पर 14 दिन की रात समाप्त हो रही है, और अब सूर्य की रोशनी के साथ सौर पैनल्स चार्ज होने की उम्मीद है। इसके बाद, इन यानों को विज्ञान मिशन के लिए फिर से सक्रिय किया जाएगा और उनका काम शुरू होगा।
यह इसरो के लिए महत्वपूर्ण मोमेंट है, क्योंकि चंद्रयान-3 मिशन के सफल लैंडिंग के बाद भारत दुनिया का पहला देश बनेगा जिसने चंद्रमा की सतह पर यान स्थापित किया है।
लोकसभा में जितेंद्र सिंह की जानकारी
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में चंद्रयान-3 मिशन के बारे में जानकारी दी और यह बताया कि भारत को अब कुछ ही घंटों में चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम और प्रज्ञान के नींद से जागने का इंतजार है, जिससे भारत पहला देश बनेगा जो चंद्रमा की सतह पर यान स्थापित करेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि चांद के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में, जहां लैंडर और रोवर स्थित हैं, पर सूर्य की रोशनी वापस आ रही है और सौर पैनल्स के चार्ज होने की उम्मीद है।
सूर्य की रोशनी से सौर पैनल चार्ज होने की उम्मीद
सूरज की रोशनी से सौर पैनल चार्ज होने के बाद, चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर और रोवर को फिर से सक्रिय किया जाएगा और उनका काम शुरू होगा।
चंद्रयान-3 मिशन का इतिहास
चंद्रयान-3 मिशन ने 2019 में चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया था, लेकिन विक्रम लैंडर ने लैंडिंग के समय कुछ किलोमीटर की ऊंचाई से गिर जाने के बाद संपर्क खो दिया था। इसके बाद, इसरो ने प्रज्ञान रोवर को जानवरी 2020 में बाहर निकाल लिया था और वह अब सक्रिय होने की तैयारी में है।
चंद्रयान-3 मिशन भारत के चंद्रमा की सतह की और और जांचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और यह भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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