केंद्र सरकार की ‘रीढ़’ कही जाने वाली केंद्रीय सचिवालय सेवा ‘सीएसएस’ के हजारों अधिकारियों ने सोमवार दोपहर को नॉर्थ ब्लॉक पर हल्लाबोल किया है। केंद्रीय सचिवालय सेवा के अधिकारियों की एसोसिएशन ‘सीएसएस फोरम’ का कहना है, हमारे सदस्य पदोन्नति में पिछड़ रहे हैं। अंडर सेक्रेटरी को डिप्टी सेक्रेटरी के पद तक पहुंचने में 13 साल लग रहे हैं। मौजूदा समय में लगभग 1200 अंडर सेक्रेटरी ऐसे हैं, जो डिप्टी सेक्रेटरी बनने की सभी योग्यताएं पूरी करते हैं। ये अधिकारी लंबे समय से पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं, लगभग 100 डिप्टी सेक्रेटरी ऐसे हैं, जिन्होंने डायरेक्टर बनने के सभी पड़ाव पार कर लिए हैं, मगर ये सभी अधिकारी एक ही पद पर काम करने को मजबूर हैं। डेढ़ वर्ष से कैडर समीक्षा रिपोर्ट लंबित है। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों ने सीएसएस कैडर के तहत 2200 से ज्यादा, अतिरिक्त पदों की जरुरत बताई है। इनमें एएसओ, एसओ, अंडर सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर के पद शामिल हैं। कैडर रिव्यू के अलावा समयबद्ध प्रमोशन, एनएफयू, प्रतिनियुक्ति पर पाबंदी और सीएसएस डे, जैसे कई मुद्दे पिछले 10 वर्षों से लंबित पड़े हैं।
सीएसएस फोरम ने अविलंब दे दिए थे सुझाव
सीएसएस फोरम के महासचिव आशुतोष मिश्रा के अनुसार, अक्तूबर 2022 में सीएसएस के चौथे कैडर रिव्यू के लिए कमेटी गठित की गई थी। इसमें डीओपीटी के एस्टेब्लिशमेंट अधिकारी एवं अतिरिक्त सचिव को कमेटी का चेयरमैन बनाया गया था। डीओपीटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी ‘सीएस’ तथा व्यय विभाग के ज्वाइंट सेक्रेटरी ‘पर्स’, इस कमेटी के सदस्य और डीओपीटी के डिप्टी सेक्रेटरी ‘सीएस1’ को मैंबर सेक्रेटरी बनाया गया। इसके बाद कमेटी ने सीएसएस फोरम से सुझाव मांगे थे। फोरम के पदाधिकारियों ने कमेटी को जनवरी 2023 में ही अपना प्रतिवेदन सौंप दिया था। इतना ही नहीं, फोरम ने डीओपीटी मंत्री और दूसरे शीर्ष अधिकारियों को समय-समय पर जल्द कैडर रिव्यू कराने का आग्रह भी किया है। इन सबके बाद भी कमेटी की रिपोर्ट नहीं आई। हर मोर्चे पर सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले लगभग 12000 सीएसएस अधिकारी अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। सीएसएस, केंद्र सरकार में रीढ़ की तरह कार्य करती है। पीएमओ के निर्देशन में, अनेक नई योजनाएं तैयार हो रही हैं। उन्हें जमीन पर उतारने की रणनीति तैयार करना और उनके मूल्यांकन जैसा अहम कार्य, सीएसएस के अधिकारी पूरी तन्मयता से करते हैं। सीएसएस अधिकारियों की मांग है कि केंद्र सरकार में इस तालमेल और योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू करने की रफ्तार में कोई कमी न आए, इसके लिए सीएसएस कैडर रिव्यू रिपोर्ट को जारी कर उसकी सिफारिशों को अविलंब लागू किया जाए।