‘Foreign Trade Policy’, नयी दिल्ली, 31 मार्च (वार्ता) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 2030 तक दो लाख करोड़ डॉलर के वस्तु एवं सेवा निर्यात के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ शुक्रवार को ‘विदेश व्यापार नीति-2023’ जारी की जिसकी कोई अंतिम तिथि नहीं रखी गयी है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यहां वाणिज्य भवन में निर्यातक समुदाय के प्रतिनिधियों के बीच यह नीति जारी करते हुए कहा कि हाल के वर्षों में भारत के उद्योग और निर्यात क्षेत्रों ने यह दिखा दिया है कि ‘हमने ठान लिया, तो हम किसी भी लक्ष्य को पूरा करने की क्षमता रखते हैं।’ गोयल ने निर्यातकों को सरकार की उदार नीतियों का फायदा उठाते हुए, दृढ़ निश्चय के साथ वैश्विक चुनौतियों का सामना करने का पहले दिन से प्रयास शुरू करने का आह्वाहन करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह कथन याद दिलाया, “ यही समय है सही समय है।”
‘Foreign Trade Policy’
विदेश व्यापार नीति 2023 पिछली 2015-20 नीति का स्थान लेगी। कोविड-19 महामारी और भू-राजनीतिक चुनौतियों के कारण नयी नीति तय करने में दो-तीन साल की देरी हुई।
उन्होंने पिछले 19 महीने के दौरान वैश्विक संकटों के बावजूद भारत के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि का उदाहरण देते हुए उद्योग जगत से कहा, “आप आज से ही शुरू करें, मुझे पूरा विश्वास है कि 2030 तक हम एक लाख करोड़ डॉलर के माल और एक लाख करोड़ डॉलर के सेवा का निर्यात लक्ष्य हासिल कर लेंगे।”
विदेश व्यापार नीति 2022-23 में पिछली विभिन्न निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं में निर्यात लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रहे, निर्यातकों के लिए एकबारगी ‘एम्नेस्टी’ (अभयदान) योजना, भारतीय निर्तायकों को रुपये में कारोबार तथा तीसरे देश से निर्यात को बढ़ावा देने, ई-कॉमर्स के जरिए निर्यात की संभावनाओं के दोहन, प्रोत्साहन की जगह शुल्क छूट, जिलों को निर्यात केन्द्र के रूप में विकसित करने, कारोबार में आसानी और लेन-देन की लागत कम करने तथा ई-कॉमर्स जैसे माध्यमों से निर्यातकों को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत कदम उठाए गए हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने निर्यात क्षेत्र को ‘अर्थव्यवस्था का इंजन’ बताते हुए कहा, “नयी विदेश व्यापार नीति स्थिरता और निरंतरता पर केन्द्रित है तथा इसमें इस बात का ध्यान रखा गया है कि हमारे निर्यात और उद्योग जगत को पिछले समयों में नीतिगत अनिश्चितताओं के कारण हुए नुकसान की स्थितियों का सामना न करना पड़े।”
इस नीति में फरीदाबाद (वस्त्र-परिधान), मुरादाबाद (हस्तशिल्प), मिर्जापुर (गलीचा और दरी) तथा वाराणसी (हथकरघा और हस्तशिल्प) को भी ‘निर्यात में उत्कृष्टता वाले कस्बे’ (टीईई) का दर्जा दिया गया है और इस तरह ऐसे कस्बों की संख्या 39 से बढ़कर 43 हो गयी है।
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