नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष की समझ को और बढ़ाने के लिए एक नई मिशन की घोषणा की है, जिसका नाम है ‘एक्पोसैट’ (एक्सरे पोलारिमीटर सैटेलाइट). यह मिशन भारत का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन होगा और खगोलीय एक्सरे स्रोतों के विभिन्न आयामों का अध्ययन करेगा, जिसमें विभिन्न खगोलीय तंत्रों की जटिल भौतिक प्रक्रियाओं को समझने की चुनौती होगी.
इस मिशन के तहत, ISRO एक अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजेगा, जिसमें दो वैज्ञानिक अध्ययन उपकरण (पेलोड) होंगे। प्राथमिक उपकरण का नाम ‘पोलिक्स’ होगा, जो खगोलीय मूल के 8-30 केवी फोटॉन की मध्यम एक्स-रे ऊर्जा रेंज में पोलारिमेट्री मापदंडों को मापेगा।
इसके साथ ही, इसरो द्वारा तैयार किए गए अन्य उपकरण ‘एक्सस्पेक्ट’ भी होगा, जो 0.8-15 केवी की ऊर्जा रेंज में स्पेक्ट्रोस्कोपिक जानकारी प्रदान करेगा, जिससे खगोलीय स्रोतों से उत्सर्जन की सटीक प्रकृति को समझने में मदद मिलेगी।
ISRO के अधिकारियों ने बताया कि यह मिशन ब्लैकहोल, न्यूट्रॉन तारे, सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक, पल्सर पवन निहारिका जैसे विभिन्न खगोलीय स्रोतों से उत्सर्जन तंत्र को समझने के लिए होगा, जिसमें विभिन्न भौतिक प्रक्रियाओं की जटिलता होती है।
इसरो ने कहा, “पोलारिमेट्री माप हमारी समझ में दो और आयाम जोड़ते हैं, ध्रुवीकरण की डिग्री और ध्रुवीकरण का कोण, और इस प्रकार यह खगोलीय स्रोतों से उत्सर्जन प्रक्रियाओं को समझने का एक उत्कृष्ट तरीका है।”
इसरो के इस नए मिशन से खगोलविदों को खगोल के गहराई में होने वाली प्रक्रियाओं को समझने में मदद मिलेगी और अंतरिक्ष के रहस्यों को खोलने में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाएगी।
इसरो ने यह भी घोषणा की है कि ‘एक्पोसैट’ लॉन्चिंग के लिए तैयार है और यह मिशन अंतरिक्ष विज्ञान में एक और महत्वपूर्ण कदम है, जिससे भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में और भी महत्वपूर्ण योगदान करेगा।
इसरो के इस मिशन के साथ ही भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में अपने प्रतिबद्धीकरण को मजबूती से दिखा रहा है और खगोल विज्ञान के क्षेत्र में अपने योगदान को भी बढ़ा रहा है। ये भी पढ़ें कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स में कमी, आज से हुआ लागू