LUCKNOW: अतीक के खिलाफ पहली बार अदालत में हुआ सजा पर फैसला

LUCKNOW
अतीक के खिलाफ पहली बार अदालत में हुआ सजा पर फैसला
LUCKNOW, 28 मार्च (वार्ता)- माफिया से राजनेता बने अतीक अहमद का आपराधिक इतिहास यूं तो दशकों पुराना है मगर राजनीति और अपराध के घालमेल, साक्ष्यों के अभाव और कमजोर पैरवी के चलते उसके खिलाफ कोई भी मुकदमा आज से पहले परवान नहीं चढ़ सका था। अतीक के खिलाफ 100 से अधिक मुकदमे विभिन्न अदालतों में दर्ज कराये जा चुके हैं मगर पिछले चार दशकों में पहली बार मंगलवार को माफिया सरगना को सजा सुनायी गयी है।
एमपी-एमएलए कोर्ट ने अतीक को राजू पाल हत्या कांड के गवाह उमेश पाल के अपहरण के मामले में उम्रकैद और एक एक लाख रूपये जुर्माने की सजा सुनायी है। अदालत के इस फैसले से यह भी साबित हो गया कि अगर सरकारों की इच्छा शक्ति प्रबल हो तो अपराधियों को उनके किये की सजा दिलाने में आसानी हो सकती है। यह सजा उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए नजीर है।

LUCKNOW: अतीक के खिलाफ पहली बार अदालत में हुआ सजा पर फैसला

करीब 17 साल पहले उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक समेत कुल 11 को आरोपी बनाया गया था। इसमें से एक आरोपी की मौत हो गई है। विशेष अदालत ने अतीक अहमद, दिनेश पासी और खाना शौलत हनीफ को उम्र कैद की सजा सुनाते हुए एक-एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया। साथ ही अतीक के भाई अशरफ समेत सात आरोपियों को दोष मुक्त करार दिया। अतीक और उसके दो सहयोगियों को बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के गवाह उमेश पाल के अपहरण के मामले में सजा मिली। गवाही बदलवाने के लिए 17 साल पहले 28 फरवरी 2006 को अतीक और उसके गुर्गों ने उमेश पाल का अपहरण कर लिया था।
उन्हें अपने दफ्तर ले जाकर टार्चर किया और फिर जबरदस्ती हलफनामा दिलवाकर गवाही बदलवा दी। अतीक के चंगुल से मुक्त होकर उमेश पुलिस के पास गए और मुकदमा दर्ज करवाया। आज कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अतीक समेत बाकी दोनों आरोपियों को धारा-364ए/34, धारा-120बी, 147, 323/149, 341,342,504, 506 के सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसी के साथ उमेश के साथ अतीक के गुनाहों का पहला इंसाफ हो गया है।