Narendra Singh, नयी दिल्ली, 02 मार्च (वार्ता) : कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने गुरुवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच आधी दुनिया भारत को खाद्य सुरक्षा के लिए आशा भरी नजरों से देख रही है और इससे देश की जिम्मेदारी बढ़ गयी है। तोमर ने पूसा कृषि विज्ञान मेला का उद्घाटन करते हुए कहा कि कोविड संकट के दौरान भी भारत ने दुनिया के विभिन्न देशों की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा किया था और 2050 तक की बढ़ती आबादी की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं। कोविड के दौरान दुनिया की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थायें धराशायी हो गयीं थी लेकिन भारत में किसानों के परिश्रम से फसलों की बम्पर पैदावार हुई। कोविड के बाद कृषि क्षेत्र बढ़ा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से दुनिया चिन्तित है और मौसम में बदलाव से सबसे ज्यादा कृषि प्रभावित होने वाला है। देश के वैज्ञानिकों से इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए अधिक तापमान को झेलने में सक्षम फसलों के बीज तैयार कर लिए हैं।
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उन्होंने कहा कि कम जमीन, कम पानी और कम लागत में उत्पादन तथा उत्पादकता बढ़े जिससे 2050 की चुनौतियों का मुकाबला किया जा सके। कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि में निजी निवेश आये, नवीनतम तकनीक आये और नये आयाम जुड़े जिससे किसान समृद्ध होंगे जिससे देश समृद्ध होगा। उन्होंने कहा कि कृषि सामान्य क्षेत्र नहीं है बल्कि यह अर्थ व्यवस्था की रीढ़ है। कृषि मुनाफे में आये, यह सामूहिक जिम्मेवारी है। उन्होंने कहा कि देश में न केवल भरपूर मात्रा में खाद्यान्न का उत्पादन होता है बल्कि यह बागवानी में भी अव्वल है तथा दूध के उत्पादन में पहले स्थान पर है। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने अनुसंधान किया और किसानों ने उसे अपनी जमीन पर उतारा जिससे फसलों का उत्पादन बढ़ा। उन्होंने कहा कि पीएम किसान योजना के तहत किसानों को हर साल छह हजार रुपये की आर्थक सहायता दी जाती है और अब तक साढ़े ग्यारह करोड़ किसानों दो लाख 40 हजार करोड़ रुपये की सहायता दी गयी है। श्री तोमर ने ग्रामीण क्षेत्र की चर्चा करते हुए कहा कि वहां आधारभूत सुविधाओं का अभाव है। सहकारिता के माध्यम से इन क्षेत्रों में कोल्ड स्टोरेज और भंडारगृह स्थापित किये जा रहे हैं। इसके एक लाख करोड़ रुपये के प्रवधान किये गये हैं तथा राज्यों के प्रस्तावित योजनाओं के लिए 14 हजार करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये हैं। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के लिए बैंक उदारता से रिण दे रहे हैं और किसान उत्पादक समूह को इसका पूरा लाभ उठाना चाहिये। कृषि मंत्री ने मोटे अनाजों की चर्चा करते हुए कहा कि ये न केवल पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा के साथ कम लागत और कम पानी में इसकी भरपूर पैदावार होती है। उन्होंने कहा कि मोटे अनाजों को गरीबों का अनाज बता कर इसे थाली से हटा दिया गया जबकि 86 प्रतिशत छोटे किसान इन अनाजों को पैदा करते हैं। दुनिया के 20 प्रतिशत मिलेट का भारत में उत्पादन होता है और थोड़े से प्रयास किये जाये तो इसके उत्पादन में अग्रणी होगा। वर्ष 2023 को अन्तरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रुप में मनाया जा रहा है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने कहा कि इस वर्ष खाद्याननों के रिकार्ड 32 करोड़ 40 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है। यह पिछले साल की तुलना में 80 से 90 लाख टन अधिक है। उन्होंने कहा कि दुनिया के 20 से 25 देशों की खाद्य सुरक्षा भारत पर निर्भर है और यह किसानों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के कारण हो सका है । कार्यक्रम को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिंह ने भी सम्बोधित किया। यह मेला तीन दिनों तक चलेगा। इसमें विभिन्न फसलों के बीज और पौध सामग्री भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
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