Railway: सेवक-रंगपो नई रेल लिंक परियोजना में सुरंगों का खनन कार्य पूरा

बता देंं कि पश्चिम बंगाल को सिक्किम से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण रेल लिंक का काम तेजी से जारी है। बुधवार को पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिला स्थित सेवक-रंगपो रेल परियोजना (एसआरआरपी) के टनल संख्या 13 में भी ब्रेक थ्रू हासिल किया गया। साथ ही इन टनलों की सफलता के साथ, इस परियोजना के सभी अडिट टनलों में खनन कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। उल्लेखनीय है कि 30 दिसंबर को भी टनल संख्या टी-04 के पोर्टल संख्या 1 पर अडिट को ब्रेक थ्रू मिला।
पू.सी. रेल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सब्यसाची डे ने बताया पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में हनुमान झोरा के पास स्थित 600 मीटर की एक निकासी टनल के साथ मुख्य टनल टी-04 की लंबाई 3948 मीटर है जबकि टी-13 की लंबाई 2560 मीटर है, जो परियोजना के पश्चिम बंगाल हिस्से का अंतिम टनल हैं और कलिम्पोंग जिले में स्थित है। मुख्य टनल हिमालय के अतिसंवेदनशील एवं चुनौतीपूर्ण भूगर्भीय और भूकंपीय स्थितियों से होकर गुजरती है।
एसआरआरपी में अन्य सभी टनलों की तरह, भू-द्रव्यमान की भेद्यता का मुकाबला करने के लिए, नवीनतम और सबसे परिष्कृत टनलिंग तकनीक यानी न्यू ऑस्ट्रियाई टनलिंग मेथड (एनएटीएम) का उपयोग किया गया है। बंगाल और सिक्किम को जोड़ने वाली परियोजना 45 किलोमीटर लंबी डे ने बताया कि सेवक (पश्चिम बंगाल) और रंगपो (सिक्किम) को जोड़ने वाली सेवक-रंगपो नई रेल लिंक परियोजना लगभग 45 किलोमीटर लंबी है। इसमें 14 टनल, 17 पुल और 5 स्टेशन शामिल हैं। सबसे लंबी टनल (टी -10) की लंबाई 5.3 कि.मी. और सबसे लंबे पुल (ब्रिज -17) की लंबाई 425 मीटर है। पूरी परियोजना संरेखण का लगभग 38.6 किलोमीटर टनल से गुजर रहा है और 90% टनलिंग कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया वर्तमान में टनल टी-14 में अंतिम लाइनिंग पूरी हो चुकी है और टनल टी -02, टी -05, टी-06, टी -09, टी -10, टी -11 और टी -12 प्रगति पर है। अब तक कुल 8.67 किमी (कुल 22.45%) लाइनिंग का कार्य पूरा हो चुका है। सभी सेक्शनों में दिन-रात कार्य किया जा रहा है। यह भारत में चल रही प्रतिष्ठित राष्ट्रीय परियोजनाओं में से एक है और इस परियोजना के पूरा होने पर, पहली बार सिक्किम राज्य रेलवे से जुड़ जाएगा। इस रेल नेटवर्क को पूरा करने का उद्देश्य सिक्किम राज्य को वैकल्पिक कनेक्टिविटी प्रदान करना है। वर्तमान में परियोजना को शीघ्र पूरा करने के लिए टनल, पुलों और स्टेशन यार्डों के निर्माण से संबंधित सभी काम-काज युद्ध स्तर पर चल रहे हैं।