सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर होने के बाद जजों को राजनीतिक पद लेने से रोकने की याचिका को खारिज किया

राजद्रोह कानून
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है, जिसमें उसने रिटायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को 2 साल तक राजनीतिक पद लेने से रोकने की याचिका को खारिज कर दिया है।

यह मामला बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन (Bombay Lawyers Association) नामक संगठन द्वारा उठाया गया था, जिसमें कहा गया था कि रिटायर होने के बाद जजों को राजनीतिक पद लेने से रोकने की आवश्यकता है। संगठन ने इस याचिका में यह भी दावा किया कि इसका मुख्य उदाहरण आंध्र प्रदेश के राज्यपाल जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर के साथ दिया गया था, जिन्होंने अयोध्या मामले (Ayodhya) पर फैसला दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में उन्होंने कहा कि इस प्रकार के निर्णय को सेवानिवृत्त जज (Retired Judge) के विवेक पर छोड़ देना चाहिए। उन्होंने आगे यह भी कहा कि कानून बनाना सरकार का काम है और सुप्रीम कोर्ट को इस तरह के आदेश देने का अधिकार नहीं है।

बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन द्वारा उठाई गई याचिका को सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट के अध्यक्ष जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा, “ऐसा लगता है कि आपको एक जज पर विशेष आपत्ति है.” इसके बाद याचिकाकर्ता के लिए पेश वकील अहमद आब्दी ने कहा कि वह न्यायपालिका के हित में अपनी बात रख रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, एक पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और एक सुप्रीम कोर्ट के जज रिटायर होने के बाद राज्यपाल बने हैं, जबकि एक पूर्व चीफ जस्टिस अब राज्यसभा के सदस्य हैं। 5 कारण जिनकी वजह से आप शाहरुख खान, नयनतारा और विजय सेतुपति स्टारर फिल्म को मिस नहीं कर सकते