लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित हो गया है, इस विधेयक के पक्ष में 454 वोट पड़े हैं। इस प्रमुख कदम के पीछे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की प्रमुख भूमिका रही है। उन्होंने इस विधेयक के माध्यम से महिलाओं के लिए तिहाई सीटों की आरक्षण का प्रावधान किया है और इसे “मातृशक्ति के लिए आरक्षित” घोषित किया है। अमित शाह ने कहा कि इसके माध्यम से न केवल नीतियों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी, बल्कि वे नीति निर्धारण में भी अपने पद को सुरक्षित करेंगी।
अमित शाह ने लोकसभा में कहा, “कल का दिन स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा और इस बिल के लिए पीएम मोदी का धन्यवाद किया है। पीएम मोदी ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा दिया, उनके इन प्रयासों के तहत लैंगिक अनुपात में सुधार हुआ है।”
उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोगों का भारत से कोई भी जुड़ाव नहीं है, और वे इस बिल को राजनीतिक एजेंडा के रूप में देख सकते हैं।
महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस विधेयक का समर्थन किया और उन्होंने यह भी कहा कि इसमें अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) की महिलाओं के लिए अलग आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए क्योंकि इसके बिना यह विधेयक अधूरा है। उन्होंने दावा किया कि भारत सरकार में 90 सचिव हैं जिनमें केवल तीन ओबीसी समुदाय से आते हैं और वे सिर्फ पांच प्रतिशत बजट को नियंत्रित करते हैं।
राहुल गांधी ने जातीय जनगणना कराए जाने की मांग करते हुए कहा कि ये ओबीसी का अपमान है और इस विधेयक को तत्काल लागू किया जाना चाहिए क्योंकि इसके लिए जनगणना और परिसीमन की जरूरत नहीं है।
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