भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने घोषणा की है कि वह बिहार सरकार द्वारा आदेशित जाति सर्वेक्षण को बरकरार रखने के पटना उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। सुनवाई 18 अगस्त के लिए निर्धारित की गई है। यह मामला ‘एक सोच एक प्रयास’ नामक संगठन द्वारा सामने लाया गया था, और इसे उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अन्य याचिकाओं के साथ सुना जाएगा।
पटना उच्च न्यायालय ने जाति-आधारित सर्वेक्षण कराने के बिहार सरकार के फैसले को बरकरार रखा था, जिसे विभिन्न याचिकाओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं में से एक ने तर्क दिया कि बिहार राज्य के पास जाति-आधारित सर्वेक्षण करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि संविधान के तहत केवल केंद्र सरकार को ही जनगणना करने का अधिकार है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सर्वेक्षण करने और उसके लिए अधिसूचना जारी करने का राज्य का निर्णय संविधान में उल्लिखित राज्य और संघ के बीच शक्तियों के वितरण के खिलाफ था। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि राज्य की कार्रवाई अनधिकृत और असंवैधानिक थी।
केंद्र द्वारा नियमित जनगणना में इस तरह की कवायद से इनकार करने के बाद बिहार सरकार ने जून 2022 में जाति जनगणना कराने का निर्णय लिया था। सर्वेक्षण का उद्देश्य बिहार के 38 जिलों में 12.70 करोड़ की अनुमानित आबादी को कवर करना है।
सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई जाति-आधारित सर्वेक्षण करने के राज्य के अधिकार के संवैधानिक पहलुओं और संविधान में निर्धारित शक्तियों के वितरण के अनुपालन पर विचार करेगी। ये भी पढ़ें हिमाचल में बारिश के कहर से 41 लोगों की मौत; उत्तराखंड में भूस्खलन, इमारतें क्षतिग्रस्त