इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के निर्णय के बाद अब उत्तर प्रदेश में सभी मदरसों की मान्यता खत्म हो गई है। मानक पूरा करने वाले मदरसे अब यूपी बोर्ड, सीबीएसई या फिर आइसीएसई से मान्यता लेकर प्राथमिक या माध्यमिक विद्यालयों की तर्ज पर संचालित हो सकेंगे।
मदरसे मानक पूरा नहीं करते हैं, उन्हें किसी भी बोर्ड से मान्यता नहीं मिलेगी और इनका संचालन बंद हो जाएगा। इन मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों का दाखिला सरकारी बेसिक या माध्यमिक विद्यालयों में कराया जाएगा।
सरकार ने डीएम की अध्यक्षता में बनाई समिति
इसके लिए सरकार ने प्रत्येक जिले में डीएम की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बनाई है। यह समिति ऐसे बच्चों को निजी विद्यालयों में भी प्रवेश दिलाने के लिए निर्देश जारी कर सकती है। इसके बाद भी यदि छात्र-छात्राएं दाखिला पाने से वंचित रह जाते हैं तो स्थानीय स्तर पर सीटों की संख्या बढ़ाने व नए विद्यालयों की स्थापना के संबंध में भी समिति कार्य करेगी।
हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने 22 मार्च को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा अधिनियम-2004 को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था। गुरुवार को मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने इस आदेश का पालन कराने के लिए जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
यूपी में करीब 16 हजार मदरसे
बता दें, यूपी में करीब 16 हजार मदरसे हैं, जिनमें कुल 13.57 लाख छात्र हैं। कुल मदरसों में 560 अनुदािनत मदरसे हैं, जहां 9,500 शिक्षक कार्यरत हैं। यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि मदरसा अजीजिया इजाजुतूल उलूम के मैनेजर अंजुम कादरी की तरफ से हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई है। वहां सरकार अपना पक्ष रखेगी।