विकास की पहली शर्त शांति है: शिवराज

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि विकास की पहली शर्त शांति है और शांति तथा कानून व्यवस्था स्थापित करने के लिए सरकार कटिबद्ध है। श्री चौहान ने आज खरगोन जिला मुख्यालय पर ‘मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान’ के तहत आयोजित ‘संभाग स्तरीय स्वीकृति पत्र वितरण कार्यक्रम’ को संबोधित करते हुए खरगोन में रामनवमी के जुलूस पर पथराव के उपरांत भड़के दंगों का हवाला देते हुए कहा कि विकास की पहली शर्त शांति है और शांति तथा कानून व्यवस्था की बहाली के लिए गुंडागर्दी नहीं चलने दी जाएगी तथा दंगाई नहीं छोड़े जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि लव के नाम पर जिहाद, बेटियों का अपमान या दुराचार नहीं सहा जाएगा और आरोपियों को कड़े से कड़ा दंड दिया जाएगा और बुलडोजर भी चलेगा। उन्होंने कहा कि खरगोन में विशेष सशस्त्र बल की तैनाती तथा एक अन्य थाने की स्थापना की जा रही है। उन्होंने चंबल में डाकुओं के समूल उन्मूलन का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने कहा था ‘या तो शिवराज रहेंगे या डाकू रहेंगे’। उन्होंने कहा कि जनता की सेवा से ही राजनीति की सार्थकता है और लोकतंत्र में जनता ही असली मालिक है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक, अधिकारी व कर्मचारी सभी जनता की सेवा के लिए तैनात है। उन्होंने कहा कि अब जनता कार्यालय नहीं जाएगी बल्कि कर्मचारी अधिकारी जनता तक पहुंचेंगे।

उन्होंने विभिन्न शिकायतों के चलते मंच से खरगोन के जिला शिक्षा अधिकारी एवं सर्व शिक्षा अभियान के जिला परियोजना समन्वयक समेत दो अन्य पदों पर काबिज के के डोंगरे तथा भीकनगांव नगर परिषद के सीएमओ मोहन सिंह अलावा को निलंबित किया। इसके अलावा आयुष्मान योजना में 98 प्रतिशत हितग्राहियों के कार्ड बनवाने के लिए अधिकारी राजेंद्र शर्मा को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने जनपद पंचायत बड़वाह के एडीओ राजेंद्र नेगी के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि शीघ्र ही उनके परिजन को अनुकंपा नियुक्ति दी जाएगी। श्री चौहान ने कहा कि जनता की सेवा करने वाले का सम्मान किया जाएगा लेकिन अधिकारों का दुरुपयोग करने वाले को दंडित भी किया जाएगा। उन्होंने उपस्थित जनता से पूछा कि भ्रष्टाचारी अधिकारी को यदि दंडित करते हैं तो क्या वह गलत करते हैं। उन्होंने कहा कि खरगोन की पहचान नवग्रह मंदिर से है और इस मंदिर के जीर्णोद्धार और वहां कॉरिडोर बनाने की रूपरेखा बनाने के निर्देश दिए गए हैं।