चंद्रयान-3: लैंडर और रोवर कहां जाते हैं जब मिशन पूरा हो जाता है?

चंद्रयान-3
चंद्रयान-3

नई दिल्ली, 5 सितंबर 2023: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी हिस्से में लैंड किया और इसके बाद चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान लैंडर विक्रम से बाहर आया। दोनों ने चांद की सतह से 14 दिन तक लगातार डाटा भेजने के बाद 4 सितंबर 2023 को स्‍लीप मोड में चले गए।

लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान ने 14 दिन की लंबी नींद में जाने से पहले महत्वपूर्ण काम किया। इसके बावजूद, कई लोगों के मन में एक सवाल उठता है: मिशन पूरा होने के बाद ये लैंडर और रोवर कहां जाते हैं? क्या वे धरती पर लौटाए जाते हैं?

अंतरिक्ष एजेंसियां जैसे कि इसरो और नासा अपने मिशन्स के लिए लैंडर और रोवर का प्रयोग करती हैं, लेकिन मिशन पूरा होने के बाद इन्हें धरती पर वापस नहीं लाया जाता है। इसके बजाय, वे अकेले या उनके मिशन के हिस्से के रूप में उपग्रह पर रहते हैं।

इसरो ने चंद्रयान-3 के मामले में भी यह बताया है कि प्रज्ञान और विक्रम को धरती पर वापस नहीं लाया जाएगा। वे अपने आखिरी समय तक चांद से डाटा भेजते रहेंगे और जब संपर्क टूट जाता है, तो वे चांद पर ही रहते हैं।

अंतरिक्ष मिशन्स के लिए यह बात महत्वपूर्ण है क्योंकि चंद्रमा जैसे ग्रहों पर वातावरण बहुत कठिन होता है और वहां के तापमान बहुत ही अत्यधिक होता है। इसलिए, लैंडर और रोवर वहां जगह बदलकर नहीं जाते और अपने कार्यों को जारी रखते हैं।

इसरो के चंद्रयान-3 का कुल वजन 3,900 किग्रा है और इसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल का वजन 2,148 किग्रा है, जबकि लैंडर मॉड्यूल का वजन 1,752 किलोग्राम है। रोवर का वजन केवल 26 किग्रा है।

इस रूप में, जब मिशन पूरा होता है, लैंडर और रोवर ग्रह के सतह पर ही बने रहते हैं और धरती पर वापस नहीं लाए जाते हैं। ये अंतरिक्ष के गहराईयों में रहते हैं और अपने ग्रह के रहस्यों का पता लगाने का काम करते हैं।

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